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गौरेला पेंड्रा-मरवाही

जबलपुर–बिलासपुर नेशनल हाईवे (NH 45): बरसात में सुस्त रफ्तार, दुर्घटनाओं और जाम से लोग परेशान

Anupam Pandey
Last updated: 2025/09/17 at 12:49 PM
Anupam Pandey 3 months ago
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जबलपुर से बिलासपुर को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे क्षेत्र की सबसे महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं में से एक माना जा रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से बन रही इस सड़क का उद्देश्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच यातायात को तेज, सुगम और सुरक्षित बनाना है। लेकिन वर्तमान हालात देखें तो यह परियोजना जनता के लिए राहत की बजाय मुसीबत ले आई है। बरसात के मौसम में निर्माण कार्य की रफ्तार बुरी तरह धीमी हो गई है और अधूरा काम अक्सर हादसों और बड़े-बड़े जाम का कारण बन रहा है।

बरसात में काम हुआ धीमा, सड़क पर खतरे बढ़े
बरसात शुरू होते ही हाईवे निर्माण की गति काफी धीमी पड़ गई। सड़क के कई हिस्सों में काम आधा-अधूरा पड़ा है, कहीं मिट्टी की भराई अधूरी है तो कहीं डामरीकरण किए गए हिस्से पानी में उखड़कर गड्ढों में बदल गए हैं। यही वजह है कि प्रतिदिन छोटे-बड़े हादसे देखने को मिल रहे हैं। मोटरसाइकिल सवार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, वहीं चारपहिया वाहन चालक भी बार-बार मुश्किल में फंस रहे हैं।

जाम से बिगड़ रही दिनचर्या
निर्माणाधीन हाईवे पर ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह अव्यवस्थित हो चुकी है। जगह-जगह डाइवर्जन, खराब सड़क और निर्माण सामग्री के ढेर ने वाहनों का आवागमन कठिन बना दिया है। रोजाना लंबे जाम के कारण ऑफिस जाने वाले कर्मचारी, स्कूल-कॉलेज के छात्र, और अस्पताल जाने वाले मरीज भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। कई बार तो एंबुलेंस भी इस जाम में फंस जाती है।

डामर सड़क पर उठे सवाल
इतना ही नहीं, लोग इस बात पर भी नाराज हैं कि इतने बड़े और महत्वाकांक्षी हाईवे को डामर से बनाया जा रहा है। आम धारणा है कि डामर की सड़क बरसात में जल्दी खराब हो जाती है और कुछ ही साल में जगह-जगह गड्ढों से भर जाती है। इसके उलट कंक्रीट (सीसी रोड) ज्यादा मजबूत और टिकाऊ साबित होती है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सीसी रोड की उम्र 30-40 साल तक हो सकती है जबकि डामर रोड कुछ ही वर्षों में मरम्मत मांगने लगती है। ऐसे में सवाल उठना लाज़िमी है कि जब अरबों रुपये इस परियोजना पर खर्च हो रहे हैं तो इसे सीसी रोड के रूप में बनाने पर विचार क्यों नहीं हुआ।

अधिकारियों और प्रशासन पर सवाल
गुणवत्ता और तकनीकी विकल्प को लेकर अब जनता द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से अब तक कोई ठोस सफाई नहीं दी गई है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि लागत और समय बचाने के लिए डामर का विकल्प चुना गया, जबकि लंबे समय में यह नुकसानदेह साबित होगा।

जनता की बढ़ती नाराजगी
लगातार हो रही परेशानियों से जनता नाराज़ हो उठी है। ट्रांसपोर्टर और वाहन मालिकों का कहना है कि खराब सड़क पर चलने से वाहनों के पार्ट्स जल्दी खराब हो रहे हैं और ईंधन का खर्च भी बढ़ रहा है। दुकानदार शिकायत कर रहे हैं कि जाम और हादसों से ग्राहक समय पर नहीं पहुंच पाते जिससे व्यापार पर सीधा असर पड़ रहा है।

सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा
सबसे अहम मुद्दा सुरक्षा का है। सड़क अधूरी पड़ने और जगह-जगह गड्ढे बने रहने से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। बरसात में सड़क फिसलन भरी हो जाती है और कई दोपहिया वाहन चालक हादसे का शिकार बन चुके हैं। बार-बार ट्रैफिक जाम और हादसों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या करोड़ों रुपये के इस हाईवे का निर्माण वास्तव में जनता के हितों को ध्यान में रखकर हो रहा है।

आगे की राह
स्थानीय लोगों को अब उम्मीद है कि बरसात के खत्म होते ही काम की रफ्तार तेज होगी। हालांकि चिंता यह भी है कि जल्दबाजी में घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल कर काम पूरा किया गया तो यह सड़क जल्दी ही अपनी उपयोगिता खो देगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि अब भी सरकार चाहे तो निर्माण तकनीक में सुधार कर इसे सीसी रोड के रूप में तैयार करवाया जा सकता है, जिससे सड़क टिकाऊ और सुरक्षित दोनों होगी।

निष्कर्ष

जबलपुर से बिलासपुर नेशनल हाईवे क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास की रीढ़ बनने वाला है। लेकिन वर्तमान स्थिति में यह सड़क जनता के लिए परेशानी और खतरे की वजह बन गई है। धीमी रफ्तार, हादसों का बढ़ना, लगातार लगते जाम और डामर सड़क की गुणवत्ता पर उठते सवाल इस योजना की गंभीर खामियों की ओर इशारा कर रहे हैं। अब जरूरत है कि अधिकारी और प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से लें और गुणवत्तापूर्ण तरीके से हाईवे को समय पर जनता को समर्पित करें। तभी यह सचमुच विकास की राह साबित होगा

Anupam Pandey

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