पेंड्रा, जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही।
जिले में इन दिनों ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (RES) विभाग में नई-नई चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। बताया जा रहा है कि विभाग ने लगभग दस वर्षों से पदस्थ एक ही उप अभियंता को उनके ही गृह विकासखंड में RES उप संभाग का SDO बना दिया है। इस निर्णय से न केवल सिस्टम की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि स्थानीय नागरिकों में भी नाराजगी देखने को मिल रही है।
नागरिकों का कहना है कि उप अभियंता विजेंद्र बलभद्रे को “सिर्फ साइन मास्टर” के रूप में जाना जाता है। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, वे न तो फील्ड में दौरा करते हैं, न ही किसी योजना की गुणवत्ता पर ध्यान देते हैं। विभागीय कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता से इन्हें कोई खास सरोकार नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत लाभ ही इनकी प्राथमिकता रही है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बलभद्रे अधिकारी व नेताओं के स्वागत-सत्कार और व्यक्तिगत नेटवर्किंग में अधिक समय देते हैं, जबकि ठेकेदारी से जुड़े लोगों को इनसे विशेष लाभ मिलता है। ग्रामीणों का कहना है कि “काम से ज्यादा सेक्शन की दुकान” चलाना इनकी प्राथमिकता बन गई है।
गौर करने योग्य बात यह है कि विजेंद्र बलभद्रे पहले गौरेला ब्लॉक में उप अभियंता के पद पर कार्यरत थे, और अब उन्हीं के गृह ग्राम पेंड्रा में उन्हें SDO के रूप में पदस्थ किया गया है। यह फैसला ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देने वाला बताया जा रहा है और स्थानीय आदिवासी सरपंचों व जनप्रतिनिधियों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार के रूप में देखा जा रहा है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से इस मामले की जांच की मांग की है और कहा है कि ऐसे लोकल अधिकारियों की नियुक्ति से सिस्टम की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है

