गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, 28 अक्टूबर 2025 — जिले की कुड़कई ग्राम पंचायत में सोमवार को उस समय हंगामा मच गया जब पंचायत सचिव संतराम यादव बिना किसी आधिकारिक सूचना के पशु पंजीयन ठेका की नीलामी रद्द कर गायब हो गया। बताया जा रहा है कि संतराम यादव पहले से ही लाखों रुपये के ठेका घोटाले और अनियमितताओं के आरोपों में घिरा हुआ है। आज की घटना ने ग्रामीणों के बीच शासन-प्रशासन पर अविश्वास और गुस्सा दोनों बढ़ा दिया है।
पंचायत सूत्रों के अनुसार, कुड़कई पंचायत ने 23 अक्टूबर को पशु पंजीकरण ठेका के लिए निविदा जारी की थी, जिसकी नीलामी 28 अक्टूबर को पंचायत भवन में तय थी। निर्धारित समय पर सरपंच, पंच और स्थानीय ग्रामीण नीलामी में भाग लेने पहुंचे थे, लेकिन सचिव संतराम यादव पूरे दिन मौके पर दिखाई नहीं दिया। ग्रामीणों ने कुछ समय बाद देखा कि पंचायत भवन की दीवार पर एक चिट्ठी चस्पा की गई है, जिस पर लिखा था — “अपरिहार्य कारणों से आज की पशु पंजीयन नीलामी ठेका निविदा निरस्त की जाती है।”
यह सूचना ग्रामीणों के लिए किसी झटके से कम नहीं थी। उपस्थित लोगों का कहना है कि सचिव ने खुद इस नोटिस को लगाकर नीलामी जानबूझकर रद्द की और इसके तुरंत बाद मौके से फरार हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह निर्णय न तो सरपंच की अनुमति से हुआ और न ही पंचायत समिति को इसकी जानकारी दी गई। स्थानीय निवासी रमेश पटेल ने बताया कि सचिव ने पुराने ठेकेदारों से मिलकर पारदर्शी नीलामी की प्रक्रिया को बाधित किया ताकि बाद में मनपसंद ठेकेदार को ठेका दिलाया जा सके।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी सचिव संतराम यादव पर इसी तरह के ठेका घोटाले के गंभीर आरोप लग चुके हैं। पिछली बार उसने पशु पंजीयन का ठेका अपने परिचित ठेकेदार भरत कश्यप और उसके पिता को सौंपा था, जबकि उन्होंने निविदा की निर्धारित राशि पंचायत खाते में जमा नहीं की थी। लाखों रुपये की यह रकम अब तक पंचायत की बहीखातों में दर्ज नहीं है, जिससे यह अंदेशा और गहरा हो गया है कि रकम सचिव की निजी लाभ के लिए इस्तेमाल की गई।
आज की घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने पंचायत भवन के पास प्रदर्शन किया और प्रशासन से तत्काल जांच व कार्रवाई की मांग की। ग्राम के बुजुर्ग हरीलाल साहू ने कहा, “पंचायत जनता की संपत्ति है, किसी अधिकारी की नहीं। अगर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को समय पर निलंबित नहीं किया गया तो हम आंदोलन करने को मजबूर होंगे।”स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया है। उनका कहना है कि नीलामी रद्द करने का यह तरीका सरकारी नियमों के विरुद्ध है और इसकी जांच उच्चस्तर पर कराई जानी चाहिए।
वहीं प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई है और मामले की प्राथमिक जांच शुरू कर दी गई है।कुड़कई पंचायत में इस तरह बार-बार होने वाली अनियमितताओं ने शासन की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्न खड़ा कर दिया है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन इस बार सख्त कदम उठाएगा ताकि भविष्य में कोई अधिकारी जनता की संपत्ति को अपनी जागीर न समझे।
यह खबर कुड़कई पंचायत में लगातार हो रही अनियमितताओं पर प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है। पंचायत क्षेत्र में बार-बार नियमों की अनदेखी किए जाने के बावजूद प्रशासन केवल औपचारिक जांच तक सीमित दिखाई दे रहा है। सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की जानकारी दी गई है, लेकिन अब तक किसी ठोस कार्रवाई के संकेत नहीं मिले हैं। इससे ग्रामीणों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। लोगों का कहना है कि हर बार जांच के नाम पर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, जबकि भ्रष्टाचार और संसाधनों की बंदरबांट जारी है। पंचायत स्तर पर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय न होना शासन की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। ग्रामीण अब यह मांग कर रहे हैं कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो, वरना आम जनता का भरोसा शासन व्यवस्था से पूरी तरह उठ जाएगा



